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Wednesday 10 February 2016

भूत बन करते थे बॉर्डर की रक्षा, मरने के बाद भी मिलती थी इन्हें छुट्टियां

144 घंटे तक 35 फीट मोटी बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी जिंदा बचे शियाचिन का शेर हनुमनथप्पा अभी कोमा में हैं। उनके बचने की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। लेकिन भारत के जवान से जुड़ी एक और चमत्कार है जिसकी कहानी हम अभी बता रहे हैं। कहानी है एक ऐसे भारतीय सेना के जवान की जो शहीद होने के बाद भी सरहद पर एक फौजी के रूप में देश की रक्षा कर रहे हैं।



ऐसा माना जाता है कि यह शहीद आज भी वहां तैनात फौजियों को दिखाई देते हैं और अपना संदेश पहुंचाने के लिए साथी फौजियों के सपने में आकार अपनी इच्छा बताते हैं। भारत-चीन सीमा पर तैनात कई फौजी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं, यही नहीं चीन के सिपाहियों ने भी इस फौजी को अपनी आंखों से घोड़े पर गश्त करते देखा है।

भारत-पाक फ्लैग मीटिंग में रखी जाती है कुर्सी -
उन सबका मानना है की पंजाब रेजिमेंट के जवान हरभजन सिंह की आत्मा पिछले 45 सालो से लगातार देश की सीम की रक्षा कर रही है। सैनिको का कहना है की भारत और चीन के बीच होने वाली हर फ्लैग मीटिंग में हरभजन सिंह के नाम की एक खाली कुर्सी लगाईं जाती है ताकि वो मीटिंग अटेंड कर सके।



कैसे हुई मौत -
 हरभजन सिंह 24वीं पंजाब रेजिमेंट के जवान थे। एक दिन जब वो खच्चर पर बैठ कर नदी पार कर रहे थे तो खच्चर सहित नदी में बह गए। नदी में बह कर उनका शव काफी आगे निकल गया। दो दिन की तलाशी के बाद भी जब उनका शव नहीं मिला तो उन्होंने खुद अपने एक साथी सैनिक के सपने में आकर अपनी शव की जगह बताई।

सवेरे सैनिकों ने बताई गई जगह से हरभजन का शव बरामद अंतिम संस्कार किया। हरभजन सिंह के इस चमत्कार के बाद साथी सैनिको की उनमे आस्था बढ़ गई और उन्होंने उनके बंकर को एक मंदिर का रूप दे दिया।



आज भी देते है ड्यूटी -
बाबा हरभजन सिंह अपनी मृत्यु के बाद से लगातार ही अपनी ड्यूटी देते आ रहे है। इनके लिए उन्हें बाकायदा तनख्वाह भी दी जाती रही है। नियमानुसार उनका प्रमोशन भी किया जाता रहा है। यहां तक की उन्हें कुछ साल पहले तक 2 महीने की छुट्टी पर गाँव भी भेजा जाता था। इसके लिए ट्रेन में सीट रिज़र्व की जाती थी, तीन सैनिको के साथ उनका सारा सामान उनके गाँव भेजा जाता था तथा दो महीने पूरे होने पर फिर वापस सिक्किम लाया जाता था।

जिन दो महीने बाबा छुट्टी पर रहते थे उस दरमियान पूरा बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहता था क्योकि उस वक़्त सैनिको को बाबा की मदद नहीं मिल पाती थी। लेकिन बाबा का सिक्किम से जाना और वापस आना एक धार्मिक आयोजन का रूप लेता जा रहा था जिसमे की बड़ी संख्या में जनता इकठ्ठी होने लगी थी।

कुछ लोगो इस आयोजान को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मानते थे इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया क्योंकि सेना में किसी भी प्रकार के अंधविश्वास की मनाही होती है। लिहाज़ा सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया।



मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है जिसमे प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाए जाते हैं। बाबा की सेना की वर्दी और जुते रखे जाते है। कहते है की रोज़ पुनः सफाई करने पर उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सलवटे पाई जाती है।

लोगो की आस्था का केंद्र है मंदिर बाबा हरभजन सिंह का मंदिर सैनिको और लोगो दोनों की ही आस्थाओ का केंद्र है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यदि इस मंदिर में बोतल में भरकर पानी को तीन दिन के लिए रख दिया जाए तो उस पानी में चमत्कारिक औषधीय गुण आ जाते है। इस पानी को पीने से लोगो के रोग मिट जाते है।

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