दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचीन ग्लेशियर में 6 दिन तक बर्फ में दबे होने के बावजूद जिंदा बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। 3 फरवरी को सियाचिन के उत्तरी ग्लेशियर में बर्फीले तूफान में दबे मद्रास रेजीमेंट के लांस नायक हनुमनथप्पा इस समय दिल्ली के आर.आर हास्पिटल में भर्ती हैं।
रक्षा विशेषज्ञ बता रहे हैं कि ऐसा चमत्कार सेना की कठोर ट्रेनिंग, योग और विपरीत परिस्थितियों में जिंदा रहने की अदम्य इच्छा से ही संभव हुआ। लांस नायक हनुमनथप्पा माइनस 45 डिग्री सेल्सियस के हांड़ गला देने वाली सर्दी में बर्फ में 25 फीट नीचे छह दिन तक दबे होने के बावजूद जिंदा निकले, तो यह अदम्य जिजीविषा का भी नतीजा है।
सोनम पोस्ट पर सेना के बचाव दल ने सोमवार देर रात हनुमनथप्पा को बर्फ काटकर बाहर निकाला। उनका फाइबर युक्त तंबू ध्वस्त हो चुका था। मेडिकल टीम यह देखकर हैरान रह गई कि हनुमन की सांसें चल रही थीं। हालांकि नाड़ी बेहद धीमी थी। हालत बहुत खराब थी और शरीर में पानी की कमी थी। उन्हें वहीं प्राथमिक चिकित्सा दी गई। फिर साल्तोरो रिज स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे हैलीपैड से हेलीकॉप्टर के जरिये बेस कैंप लाया गया। विशेष ऑपरेशन में 150 जवानों के अलावा डॉट व मीशा नाम के दो खोजी कुत्तों ने भी अहम भूमिका निभाई। इन सब ने मिलकर असंभव को संभव कर दिया।
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