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Friday 3 June 2016

ये है 'सत्याग्रहियों' की गोली का शिकार बने मथुरा के 'सिंघम' की कहानी

सत्याग्रह के नाम पर मथुरा में गुरुवार रात भड़की हिंसा की आग में शहर का 'सिंघम' कहा जाने वाला पुलिस अधिकारी भेंट चढ़ गया. करीब 280 एकड़ में फैले जवाहरबाग में छोटी-छोटी झोपड़ियों पर दहशत और मौत छुपा कर रखी गई थी. झोपड़ियों में रखे विस्फोटकों और असलहों से उपद्रवियों ने पेड़ों की आड़ लेकर पुलिस पर हमला बोला.



कभी मेडिकल में करियर बनाने की सोचने वाले संतोष यादव 2001 में पुलिस सेवा में आए थे और देखते ही देखते उनका काम उन्हें बुलंदी पर ले गया. 2013 में आगरा से मथुरा आए संतोष यादव ने एक लूटकांड पर जिस तरह एक्शन लिया, उसके बाद उन्हें 'मथुरा का सिंघम' कहा जाने लगा.

यह है संतोष के सिंघम बनने की कहानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 31 जुलाई 2015 को एक्सप्रेसवे से कुछ बदमाशों ने एक इंडिका कार लूटी थी और एक मोटरसाइकिल भी छीन ली थी. उस वक्त सूचना मिलते ही एसओ संतोष यादव ने अपनी टीम के साथ बदमाशों का पीछा किया, लेकिन बदमाश पुलिस को चकमा देने की कोशिश करने लगे. बारिश और कीचड़ होने की वजह से गाड़ियां फंस गईं तो बदमाश पैदल भागने लगे और पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में एसओ जमुनापार संतोष यादव ने भी फायरिंग की और गोलियों की परवाह किए बिना दो बदमाशों को दबोच लिया. हालांकि तब एक बदमाश भागने में सफल रहा.

एसओ संतोष यादव ने जिन दो बदमाशों को गिरफ्तार किया था, तलाशी के दौरान उनके पास 315 बोर के दो तमंचे और तीन जिंदा कारतूत बरामद हुए थे.

आगरा में सुलझाई थी बड़ी बैंक डकैती
एक बार आगरा में हुई बैंक डकैती का भी पांच दिन में भंडाफोड़ किया था जिसके बाद आईजी ने 15000 और डीआईजी 12000 रुपये ईनाम दिया. पेंचीदा केस सुलझाने में वह माहिर थे.

बनाए गए थे SWAT टीम के प्रभारी
मूल रूप से यूपी के जौनपुर जिले के रहने वाले संतोष यादव सीधे एसआई के पद पर तैनात हुए. उनकी पहली पोस्टिंग थाना प्रभारी शेरगढ़ के रूप में हुई थी, उनके काम को देखते हुए बाद में उन्हें स्वॉट टीम का प्रभारी बना दिया गया. स्वॉट टीम में रहते हुए संतोष ने कई बड़े खुलासे किए, जिसके बाद वह एसएसपी के पीआरओ बना दिए गए. बाद में उन्हें जमुनापार का थाना प्रभारी बनाया गया.

20 दिन पहले ही हुई थी पोस्टिंग
जमुनापार में थाना प्रभारी रहते हुए संतोष यादव ने कई मामलों में हिम्मत दिखाई. कुछ दिनों बाद एक बार फिर से एसएसपी ने उन्हें अपना पीआरओ बना लिया. करीब 20 दिन पहले ही उन्हें फरह का थाना प्रभारी बनाया था. सत्याग्रह के नाम पर मथुरा के जवाहरबाग इलाके में अवैध कब्जे को हटाने की कार्रवाई के दौरान वह उपद्रवियों की गोली लगने से शहीद हो गए.
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