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Saturday 23 January 2016

भारत यात्रा से ठीक पहले फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा, 'सही रास्ते पर है राफेल डील'

नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने रविवार को संकेत दिया कि करीब 60 हजार करोड़ रुपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर उनकी इस यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना हालांकि नहीं है लेकिन यह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, 'राफेल भारत और फ्रांस के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यह अगले 40 साल के लिए 'मेक इन इंडिया' सहित अभूतपूर्व औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा।'

ओलांद ने रविवार से शुरू हो रही अपनी यात्रा से पहले न्यूज एजेंसी 'पीटीआई भाषा' को दिए इंटरव्यू में कहा, 'इस बात से सहमत हूं कि सौदे के तकनीकी पहलुओं पर व्यवस्था में समय लगता है, लेकिन हम सही दिशा में जा रहे हैं।'



ओलांद ने भी पाकिस्तान से पठानकोट आतंकवादी हमले पर कार्रवाई करने की भारत की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा, भारत ने इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के दायरे में लाने की मांग करके बिल्कुल सही किया है। इसके अलावा उन्होंने कहा, भारत और फ्रांस आतंकवाद के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करने के अपने संकल्प में एकजुट हैं।

ओलांद रविवार से तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं। वे गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि होंगे। हाल के दिनों में फ्रांस में हुए आतंकी हमलों के बाद ओलांद की भारत यात्रा के दौरान भी उन पर आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई है।

राफेल सौदे को लेकर संशय
इससे दो दिन पहले अरबों डॉलर के राफेल लड़ाकू विमान सौदे के विषय में खबर आई थी कि सौद को लेकर संशय बरकरार है, क्योंकि फ्रांसीसी राजदूत फ्रांस्वा रिशर ने कहा था कि इस बारे में 'जटिल बातचीत' जारी है। हालांकि राष्ट्रपति ओलांद ने भी तकनीकी पहलुओं पर सहमति बनाने में वक्त लगने की बात कही है, लेकिन वे सौदे को लेकर आश्वस्त भी दिख रहे हैं।

राजदूत रिशर ने दो दिन पहले दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'इस समय बातचीत चल रही है। इसलिए मैं नहीं बता सकता कि इसका परिणाम क्या होगा। उसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। निस्संदेह यह जटिल बातचीत है।'

राजदूत ने कहा 'बिल्कुल, मैं तो आपसे यही कहूंगा कि मैं आशान्वित हूं। लेकिन आशान्वित होने का मतलब यह नहीं है कि हम पूरी तरह निश्चिंत हैं। बहुत ऊर्जा के साथ काम किया जा रहा है।' समझा जाता है कि ओलांद की यात्रा के दौरान एक अंतर-सरकारी रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं, लेकिन अंतिम अनुबंध में समय लगेगा, क्योंकि लागत पर बातचीत जारी है।

उन्होंने कहा, 'चूंकि सरकार से सरकार के बीच बातचीत हो रही है, इसलिए यह एक अंतर-सरकारी समझौता होगा। सब कुछ इसके दायरे में होगा। मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं क्योंकि यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है।' बाद में रिशर ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब यह नहीं था कि अंतर-सरकारी समझौते पर ओलांद की यात्रा के दौरान निश्चित रूप से हस्ताक्षर हो ही जाएंगे।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि मुख्य समस्या लागत के मुद्दे से संबंधित है। समझा जाता है कि 36 विमानों के लिए अंतिम अनुबंध की लागत करीब 60,000 करोड़ रुपये होगी, जिनमें उनकी प्रक्षेपास्त्र प्रणाली और अन्य भी शामिल होंगे। भारतीय पक्ष की ओर से एयर मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया की अगुवाई में लागत संबंधी बातचीत चल रही है।


इस बीच, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा फ्रांस के एमबीडीए के साथ मिलकर संक्षिप्त दूरी की, सतह से हवा में मार करने वाली (एसआर-एसएएम) मिसाइल की सह विकास परियोजना के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा, 'हम इस पर काम कर रहे हैं।' उन्होंने कहा 'बिल्कुल, हमें इस पर भारतीय पक्ष द्वारा निर्णय किए जाने की उम्मीद है। शायद अभी नहीं, लेकिन बाद में...।' छह स्कॉर्पियन पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं। इनके अलावा, और स्कॉर्पियन पनडुब्बियों के लिए संभावित ऑर्डर के बारे में पूछे जाने पर रिशिर ने कहा, 'फिलहाल हम राफेल पर ही ध्यान दें।'

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